जमीन का बटवारा :
जमीन का बंटवारा, जिसे जमीन को हिस्सों में बाँटना या विभाजित करना भी कहा जाता है।परिवार में संपत्ति को बाँटा जाता है, जैसे पिता की ज़मीन बच्चों में बाँटनी हो, तब यह प्रक्रिया होती है। और भी कारण हो सकते हैं, जैसे ज़मीन का विकास कार्य हो रहा हो और प्लॉटिंग करनी हो।
जमीन का बंटवारा का नियम:
हमारे देश में कानून के अनुसार बंटवारा कई तरीकों से किया जा सकता है। जब भी बंटवारे की बात आती है, तब पारिवारिक सदस्यों से बातचीत करके “पार्टिशन डीड” (Partition Deed) बनाई जा सकती है।
पारिवारिक सदस्यों से आपसी सहमति करना आवश्यक होता है। बंटवारा करने के लिए एक पार्टिशन डीड तैयार की जाती है, जिस पर सभी सदस्यों के हस्ताक्षर (साइन) लेकर बंटवारा किया जाता है।
यह एक आसान तरीका होता है, जिसे “पारिवारिक समझौता” (Family Settlement) कहा जाता है। इसमें परिवार के सदस्य आपस में बात करके यह तय करते हैं कि किसे कौन-सी संपत्ति देनी है, और यह सब लिखित रूप में तय किया जाता है।
यदि परिवार के बीच आपसी सहमति नहीं बनती है, तो वे अदालत में जाकर बंटवारे की मांग कर सकते हैं। कोर्ट के आदेश के अनुसार फिर बंटवारा किया जाता है।
जमीन का बंटवारा कैसे करें
भारत में कई संपत्ति से जुड़े विवाद अदालत तक पहुंचते हैं। जब संपत्ति का बंटवारा सही तरीके से नहीं किया जाता, तो लोग अक्सर बार-बार कोर्ट के चक्कर लगाने पर मजबूर हो जाते हैं। अगर वसीयत नहीं होती है, तो बंटवारे की प्रक्रिया और भी अधिक जटिल हो जाती है।हम आपको पूरी संपत्ति बंटवारे की प्रक्रिया और यह भी बताएंगे कि आप कहां जाकर अपनी संपत्ति का बंटवारा करवा सकते हैं।
वर्तमान में जो व्यवस्था की गई है, उससे बंटवारे की प्रक्रिया काफ़ी आसान हो गई है। ऐसा बुंदेलखंड औद्योगिक विकास के ओएसडी डॉ. लालकृष्ण ने बताया है।
उन्होंने बताया कि बंटवारे के लिए उपजिलाधिकारी (SDM) कोर्ट में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत आवेदन किया जा सकता है।
यदि मौके पर जाकर जमीन का बंटवारा करना है, तो मौके पर जाकर जमीन की स्थिति देखकर एसडीएम कोर्ट में आवेदन किया जाता है।
अगर सभी पक्ष आपस में सहमत हों, तो बंटवारा किया जाता है।इससे बंटवारे की प्रक्रिया आसान हो जाती है।